मनासा। पठार क्षेत्र के जंगलों में वर्षों से स्पंण माता का चमत्कारी मंदिर स्थित है। जहां पर स्पण माता के दर्शन मात्र से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती हैं। यह देवीय स्थल मनासा तहसील मुख्यालय से मात्र 15 किलो मीटर दूर अरावली पर्वत श्रृंखला के बीच जंगल में स्थित है। जहां के स्पण कुंड के जल से कई प्रकार की बीमारियां ठीक हो रही हैं। मनासा से 15 • किलो मीटर दूर कंजार्डा-मनासा रोड से तीन किलो मीटर दूर रूपण माता का मंदिर स्थित है, जहां पर प्रतिवर्ष भक्तों का तांता लगा रहता है। इस देवीय स्थल पर शारदीय व चैत्र नवरात्रा में अखंड दुर्गा सप्त सती का पाठ होता है। मंदिर पर आम दिनों की अपेक्षा नवरात्रा में भक्तों की विशेष भीड़ उमड़ती है। भौगोलिक स्थिति से मी देवीय स्थल जंगल में पहाड़ों के बीच स्थित होने से बहुत ही सुंदर व आकर्षक है। जहां अक्सर आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों व मनासा नगर के लोग पिकनिक मनाने पहुंचते हैं।
कैंसर, लकवा जैसी बीमारियां होती हैं ठीक-
जहां पहाड़ों के बीच स्थित रोपण माता के कुंड के जल से विभिन्न बीमारियों के मरीज ठीक हो रहे हैं। मंदिर के पुजारी रतनलाल भील बताते हैं कि मंदिर पटियार डेम के उत्तरी छोर पर स्थित है। जो वर्षों पुराना होकर चमत्कारी मंदिर है। कुंड के जल से कैंसर,लकवा,चर्म रोग अन्य बीमारियों के रोगी ठीक हो रहे हैं। साथ ही ऐसे मरीज जिनको नजर, भूत-प्रेत का साया हो, वो भी मां के चमत्कारी जल से ठीक हो रहे हैं। जल की खास विशेषता यह है कि यहां बीते वर्षों में कैंसर के रोगी भी आए हैं, उनकी कैंसर की बीमारी में भी सुधार आया है।
डेम के ठेकेदार को बनाना पड़ा मंदिर-रूपण माता मंदिर पर जन सहयोग से विकास कार्य व नवरात्रा का सारा खर्च वहन किया जाता है। इसमें अध्यक्ष सांवरा गुर्जर, सचिव शांतिलाल धनगर व अन्य सदस्य शामिल है। समिति के सचिव शांतिलाल धनगर ने बताया कि मान्यता के अनुसार रूपण माता वर्षा पूर्व से एक पत्थर पर विराजित थी। कांग्रेस शासन काल में,मंदिर के पास ही पटियार डेम का निर्माण हो रहा था। हमारे पूर्वज बताते हैं कि डैम निर्माण में कार्य करने वाली बड़ी-बड़ी मशीनें जाम हो गई। कार्य रुक गया,जब बुजुर्गों ने ठेकेदार को पत्थर पर विराजित रूपन माता के मंदिर की बात कही ठेकेदार ने पहले माताजी का मंदिर बनाया,तब जाकर डेम का निर्माण हो पाया। कुंड में 12 माह रहता है पानी-मंदिर पर सच्चे मन से सेवा करने वाले भक्त बताते हैं कि कुंड में 12 माह पानी रहता है। चाहे कितना ही सूखा ग्रस्त हो कुंड में कभी पानी नहीं सूखता, छोटे से कुंड में गर्मी के दिनों में। जंगली जानवर सहित आम आदमी पानी पीते है। कुंड के जल से विभिन्न बीमारियां भी दूर हो रही हैं।
ईडर नदी का उदगम स्थल- दातोली व पलासिया पंचायत के बीच में वन विभाग की जमीन पर स्थित रूपण माता मंदिर से एक किलो मीटर दूर ही स्थित बालाजी व शिवजी का स्थल है, जहां वर्तमान में मनोहारी झरना बह रहा है। बहते झरने के साथ ही मनासा विकासखंड के विभिन्न क्षेत्रों से निकलने वाली ईडर नदी का उदगम स्थल है। यही से ईडर नदी शुरू होती है, जो विकासखंड के अधिकतर क्षेत्र को हरा भरा करती है।
जनसहयोग से लगातार हो रहा कार्य-दो पंचायतों के बीच व वनविभाग की जमीन पर स्थित मंदिर को शासन-प्रशासन का कोई सहयोग नहीं मिल पाता। यहां जितने भी विकास कार्य हुए, वह सभी कार्य मनासा जावद विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्रों की जनता के जनसहयोग से हो रहे हैं। भक्तों को मंदिर तक पहुंचने में परेशानी नहीं हो, समिति द्वारा पहाड़ के ढलान पर करीब 300 मीटर सीसी सड़क का निर्माण जनसहयोग से करवाया गया। सीसी सड़क के साथ ही अन्य विकास कार्य मंदिर पर हो रहे हैं। देवीय स्थल पर वन विभाग की आपत्ति के कारण विकास नहीं हो पा रहा।
ऐसे पहुंचे रूपण माता मंदिर-मनासा विकासखंड के मनासा-कंजार्डा रोड पर गांव रावतपुरा से आगे घाटा चढ़ते ही आपको बालाजी का मंदिर मिलेगा। इस मंदिर से एक किलो मीटर दूर मुख्य रोड पर रूपण माता जाने के लिए बड़ा लोहे का गेट मिलेगा। जिस पर रूपण माता मंदिर प्रवेश द्वारा लिखा हुआ है। द्वार के अन्दर प्रवेश करने के बाद जंगल में तीन किलो मीटर कच्चे रास्ते से होकर रूपण माता मंदिर पहुंचा जा सकता है। रास्ता कच्चा होने के बावजूद भक्त बाइक या फोर व्हीलर वाहन से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।