सहारनपुर: उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में स्थित मां शाकंभरी कान्हा उपवन गौशाला ने गोबर से पेंट बनाने की अनोखी पहल शुरू की है. अब तक यह गौशाला गोबर से दीपक और भगवान की मूर्तियां तैयार करती थी, जिनकी देशभर में अच्छी मांग रही है. लेकिन अब, लगभग करोड़ों रुपए की लागत से एक पेंट निर्माण यूनिट भी लगायी गई है. इस यूनिट को स्थापित करने में करीब एक साल का समय लगा और जल्द ही यहां गोबर से पेंट बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
ये होता है प्रोसेस
गोबर से पेंट बनाने की प्रक्रिया में पहले गोबर को पानी के साथ मिलाकर एक घोल तैयार किया जाता है. इस घोल को डी वाटर कर्लिंग मशीन में डालकर पेंट तैयार किया जाता है. जिसमें वर्णक रंग, ऐक्रेलिक पाउडर, टाइटेनियम डाइऑक्साइड, बाइंडर और कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड जैसे 17 से 18 प्रकार की अन्य सामग्री मिलाई जाती हैं. इसके बाद, इन सबको हाई स्पीड डिसपेंसर मशीन में मिक्स कर सफेद रंग का पेंट तैयार किया जाता है. इस गौशाला में लगी मशीनें 8 घंटे में 1,000 लीटर पेंट का उत्पादन कर सकती हैं. इस पेंट की क्वालिटी ब्रांडेड कंपनियों के पेंट जैसी ही है, लेकिन इसका मूल्य अन्य पेंट्स की तुलना में काफी कम रखा गया है.
प्राकृतिक है ये पेंट
गोबर से तैयार यह पेंट पूरी तरह से प्राकृतिक है और पर्यावरण के अनुकूल है. यूनिट के इंजीनियर सीताराम शर्मा ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि गोबर से बना पेंट इको-फ्रेंडली, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल, नेचुरल थर्मल इंसुलेटर और हैवी मेटल्स से मुक्त है. यह पेंट दीवारों और दरवाजों पर लगने पर किसी तरह की दुर्गंध भी नहीं छोड़ता, जिससे यह घरों में इस्तेमाल के लिए बहुत सुरक्षित विकल्प है.
धार्मिक महत्व भी है
धार्मिक दृष्टिकोण से भी गाय के गोबर का महत्व है. नगर निगम के पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी संदीप कुमार मिश्रा ने बताया कि हिंदू परंपरा में गोबर से आंगन की पुताई शुभ मानी जाती है और इसे पूजा में भी उपयोग किया जाता है. गौशाला में तैयार होने वाला यह पेंट बड़े ब्रांड्स को चुनौती देगा, जो बाजार में 400 रुपये प्रति लीटर से अधिक की दर पर बिकते हैं. जबकि गोबर से बने इस पेंट की कीमत किफायती होगी, जो इसे आम लोगों के लिए भी आसानी से सुलभ बनाएगी.