चुनाव का एक और दौर निपट गया जीतने वाले बम बम हैं और हारने वाले वही पुराना रोना लेकर बैठ गए हैं वोटिंग मशीन का | यह रोदन जारी है 2014 की हार के बाद से | देश की सत्तासीन रही और आज की विपक्ष की सबसे पुरानी पार्टी शायद उस दिन को कोस रही होगी जब उसने देश में वोटिंग मशीन से चुनाव कराने की शुरुआत की थी | उसे यदि पता होता कि बरसों बाद उसकी चुनाव दर चुनाव ऐसी बुरी गत होगी तो वह कभी वोटिंग मशीनों से चुनाव न कराती | पर क्या हो सकता है जब चिड़िया चुग गई खेत | अब तो मशीन के नाम पर स्यापा करने का काम ही उसके और उसके गठबंधन के पास बच गया है | चुनाव जीत गए तो वोटिंग मशीन सबसे अच्छी | 2024 के लोकसभा चुनाव की वोटिंग मशीन सबसे ठीक थी जब सीटें 45 से बढ़कर 99 हो गई थी | हर चुनाव के बाद वोटिंग मशीन में नित नए नुक्स निकाले जाते हैं | पहले कहा जाता था कि मशीन को हेक किया जा सकता है | चुनाव आयोग ने कहा आओ हेक करके बताओ तो इनके पसीने छूट गए कोई नही गया | जब इससे बात नही बनी तो पिछले चुनाव में हार का ठीकरा मशीन की बेटरी के नाम पर फोड़ा | इस बार हारे तो फिर एक नया बहाना तैयार | सरकार या सत्ताधारी पार्टी छोटे राज्य में तो अच्छी मशीन भेजकर हमें जिता देती है पर बड़े राज्य में सेटिंग वाली मशीनों से चुनाव कराकर हमें हरा देती है | अब यह नया कुतर्क सुनकर दूसरे राज्य के उनके चुनाव जीते साथी को कैसा लगा होगा ये वही जाने | इस एक कुतर्क से बिचारे विजयी नेता की सारी मेहनत पर पानी फिर गया |अब पुरानी सत्ताधारी पार्टी के अध्यक्ष अपने नेता को एक नई यात्रा निकालने के लिए राजी कर रहे कि माई बाप आप मशीन का विरोध करते हुए मतपत्र से मतदान की वकालत करने के लिए नयी यात्रा पर निकल जाओ | अगले चुनाव में अभी दो एक महीने बाकी हैं तब तक बैठे ठाले क्या करोगे ? यह अलग बात है कि उनकी इस पुकार लगाने के एक दिन पहले ही देश की सबसे बड़ी अदालत ने इन मशीन विरोधियों को लताड़ते हुए कहा कि जब जीत जाते हो तो मशीन पर कोई सवाल नही | हारते ही मशीन के नाम का रोना रोते हुए हमारे पास आ जाते हो चलो भागो यहाँ से | पर इनकी सेहत पर कोई असर नही इनका राग वोटिंग मशीन चालू है |
चुनावी हार वाले बड़े राज्य में इनकी एक सहयोगी पार्टी के एक नेता हैं जिनके बयानों ने अपनी पार्टी और नेता को डुबाने में कोई कसर नही छोड़ी है | वे हार के बाद सामने आये हार का बिलकुल नया बहाना लेकर | उन्होंने अपनी पार्टी और गठबंधन की हार का ठीकरा देश की सबसे बड़ी अदालत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के सर पर फोड़ा | इन महापुरुष ने कहा कि यदि पिछले चीफ जस्टिस वोटिंग मशीन के पक्ष में फैसला नही देते तो हमारा यह हाल नही होता | अब क्या कौर्ट और जज साहब इनसे पूछकर फैसला करेंगे ? वे यहीं नही रुके ,उन्होंने हार का दूसरा कारण बताया वह तो और भी गजब था | उनका कहना था हमारी और हमारे साथ वाली दूसरी पार्टी में टूट के सम्बन्ध में हमने जो याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाईं थी, उस पर चीफ जस्टिस साहब ने कोई फैसला नही किया इसलिए हम हार गए | मतलब न्यायालय और जज साहब कब और क्या फैसला करें इसकी सलाह भी ये देंगे | अरे भैया जनता की सबसे बड़ी अदालत ने फैसला सुना दिया कि कौनसी पार्टी असली है अब तो यह रोना धोना बंद करो | पर नही सांप चला गया ये लकीर पीट रहे हैं | इनके नेता और इनसे अपनी पार्टी सम्हल नही रही और दोष दूसरे के सर | कब तक वास्तविकता से मुंह चुराते रहोगे |
अब मन पसंद पार्टी चुनाव हार गई तो इनके समर्थक लिक्खाड़ भी दुखी हैं और चालु हो गए हार पर ज्ञान बांटने के लिए | सबसे पहले तो हार के लिए इन्होने अपने ही साथियों को कोसा जिन्हें ये गोदी मिडिया कहते हैं | गोदी मिडिया वाला जुमला इतना घिस चुका है कि इस पर इनके समर्थकों के अलावा कोई दूसरा ध्यान नही देता | फिर आये ये अपने दूसरे मन पसंद कारण पर वह है जिस भी संस्था की जो बात पसंद न आये उसके फैसलों पर प्रश्न चिन्ह लगाओ | चुनाव में हार का ठीकरा फोड़ने के क्रम में इनका सुविचार था कि चुनाव आयोग तो सत्ताधारी पार्टी की जेब में है इसलिए चुनाव हार गए | ये वे लोग हैं जिनके लग्गू भग्गू हर चुनाव के बाद चुनाव आयोग के खिलाफ देश की सबसे बड़ी अदालत में गए और मुंह की खाकर लौट आये | परन्तु चुनाव आयोग को गरियाने का इनका अभियान जारी है | इसे कहते हैं खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचे |
ये हार गए अपने पर ध्यान देने के जीतने वाले पर टीका टिप्पणी करने में लगे है अरे भैया उन्हें उनका कम करने दो वे तुम्हारे कहने से अपना नेता नहीं बनाने वाले | अच्छा हो ये हारने वाले दल और नेता और इनके समर्थक सबसे पहले अपने गिरेबान में झांके | पहले अपने को मजबूत बनाने की और ध्यान दो बजाय इसके कि सामने वाले को हराने के लिए दूसरे के कंधे का सहारा तलाशें | जब तक खुद को मजबूत नही करेंगे ,नया दमदार नेतृत्व नही लायेंगे तब तक ऐसे ही हारेंगे और नित नए बहाने बनाते रहेंगे |
चुनाव का एक और दौर निपट गया जीतने वाले बम बम हैं और हारने वाले वही पुराना रोना लेकर बैठ गए हैं वोटिंग मशीन का | यह रोदन जारी है 2014 की हार के बाद से | देश की सत्तासीन रही और आज की विपक्ष की सबसे पुरानी पार्टी शायद उस दिन को कोस रही होगी जब उसने देश में वोटिंग मशीन से चुनाव कराने की शुरुआत की थी | उसे यदि पता होता कि बरसों बाद उसकी चुनाव दर चुनाव ऐसी बुरी गत होगी तो वह कभी वोटिंग मशीनों से चुनाव न कराती | पर क्या हो सकता है जब चिड़िया चुग गई खेत | अब तो मशीन के नाम पर स्यापा करने का काम ही उसके और उसके गठबंधन के पास बच गया है | चुनाव जीत गए तो वोटिंग मशीन सबसे अच्छी | 2024 के लोकसभा चुनाव की वोटिंग मशीन सबसे ठीक थी जब सीटें 45 से बढ़कर 99 हो गई थी | हर चुनाव के बाद वोटिंग मशीन में नित नए नुक्स निकाले जाते हैं | पहले कहा जाता था कि मशीन को हेक किया जा सकता है | चुनाव आयोग ने कहा आओ हेक करके बताओ तो इनके पसीने छूट गए कोई नही गया | जब इससे बात नही बनी तो पिछले चुनाव में हार का ठीकरा मशीन की बेटरी के नाम पर फोड़ा | इस बार हारे तो फिर एक नया बहाना तैयार | सरकार या सत्ताधारी पार्टी छोटे राज्य में तो अच्छी मशीन भेजकर हमें जिता देती है पर बड़े राज्य में सेटिंग वाली मशीनों से चुनाव कराकर हमें हरा देती है | अब यह नया कुतर्क सुनकर दूसरे राज्य के उनके चुनाव जीते साथी को कैसा लगा होगा ये वही जाने | इस एक कुतर्क से बिचारे विजयी नेता की सारी मेहनत पर पानी फिर गया |अब पुरानी सत्ताधारी पार्टी के अध्यक्ष अपने नेता को एक नई यात्रा निकालने के लिए राजी कर रहे कि माई बाप आप मशीन का विरोध करते हुए मतपत्र से मतदान की वकालत करने के लिए नयी यात्रा पर निकल जाओ | अगले चुनाव में अभी दो एक महीने बाकी हैं तब तक बैठे ठाले क्या करोगे ? यह अलग बात है कि उनकी इस पुकार लगाने के एक दिन पहले ही देश की सबसे बड़ी अदालत ने इन मशीन विरोधियों को लताड़ते हुए कहा कि जब जीत जाते हो तो मशीन पर कोई सवाल नही | हारते ही मशीन के नाम का रोना रोते हुए हमारे पास आ जाते हो चलो भागो यहाँ से | पर इनकी सेहत पर कोई असर नही इनका राग वोटिंग मशीन चालू है |
चुनावी हार वाले बड़े राज्य में इनकी एक सहयोगी पार्टी के एक नेता हैं जिनके बयानों ने अपनी पार्टी और नेता को डुबाने में कोई कसर नही छोड़ी है | वे हार के बाद सामने आये हार का बिलकुल नया बहाना लेकर | उन्होंने अपनी पार्टी और गठबंधन की हार का ठीकरा देश की सबसे बड़ी अदालत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के सर पर फोड़ा | इन महापुरुष ने कहा कि यदि पिछले चीफ जस्टिस वोटिंग मशीन के पक्ष में फैसला नही देते तो हमारा यह हाल नही होता | अब क्या कौर्ट और जज साहब इनसे पूछकर फैसला करेंगे ? वे यहीं नही रुके ,उन्होंने हार का दूसरा कारण बताया वह तो और भी गजब था | उनका कहना था हमारी और हमारे साथ वाली दूसरी पार्टी में टूट के सम्बन्ध में हमने जो याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाईं थी, उस पर चीफ जस्टिस साहब ने कोई फैसला नही किया इसलिए हम हार गए | मतलब न्यायालय और जज साहब कब और क्या फैसला करें इसकी सलाह भी ये देंगे | अरे भैया जनता की सबसे बड़ी अदालत ने फैसला सुना दिया कि कौनसी पार्टी असली है अब तो यह रोना धोना बंद करो | पर नही सांप चला गया ये लकीर पीट रहे हैं | इनके नेता और इनसे अपनी पार्टी सम्हल नही रही और दोष दूसरे के सर | कब तक वास्तविकता से मुंह चुराते रहोगे |
अब मन पसंद पार्टी चुनाव हार गई तो इनके समर्थक लिक्खाड़ भी दुखी हैं और चालु हो गए हार पर ज्ञान बांटने के लिए | सबसे पहले तो हार के लिए इन्होने अपने ही साथियों को कोसा जिन्हें ये गोदी मिडिया कहते हैं | गोदी मिडिया वाला जुमला इतना घिस चुका है कि इस पर इनके समर्थकों के अलावा कोई दूसरा ध्यान नही देता | फिर आये ये अपने दूसरे मन पसंद कारण पर वह है जिस भी संस्था की जो बात पसंद न आये उसके फैसलों पर प्रश्न चिन्ह लगाओ | चुनाव में हार का ठीकरा फोड़ने के क्रम में इनका सुविचार था कि चुनाव आयोग तो सत्ताधारी पार्टी की जेब में है इसलिए चुनाव हार गए | ये वे लोग हैं जिनके लग्गू भग्गू हर चुनाव के बाद चुनाव आयोग के खिलाफ देश की सबसे बड़ी अदालत में गए और मुंह की खाकर लौट आये | परन्तु चुनाव आयोग को गरियाने का इनका अभियान जारी है | इसे कहते हैं खिसियानी बिल्ली खम्बा नोचे |
ये हार गए अपने पर ध्यान देने के जीतने वाले पर टीका टिप्पणी करने में लगे है अरे भैया उन्हें उनका कम करने दो वे तुम्हारे कहने से अपना नेता नहीं बनाने वाले | अच्छा हो ये हारने वाले दल और नेता और इनके समर्थक सबसे पहले अपने गिरेबान में झांके | पहले अपने को मजबूत बनाने की और ध्यान दो बजाय इसके कि सामने वाले को हराने के लिए दूसरे के कंधे का सहारा तलाशें | जब तक खुद को मजबूत नही करेंगे ,नया दमदार नेतृत्व नही लायेंगे तब तक ऐसे ही हारेंगे और नित नए बहाने बनाते रहेंगे |
एक विचार यह भी चुनाव में हार के बाद ओमप्रकाश चौधरी
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