नीमच। (कपिल सिंह चौहान) नीमच नगर पालिका में भाजपा का बहुमत है इसी बलबूते भाजपा की स्वाती चोपड़ा नगर पालिका अध्यक्ष चुनी गई। उपाध्यक्ष भी भाजपा की रंजना परमार हैं। और विशेष सम्मेलन बुलाने के लिए सहमती देने वाले पार्षदों के कोरम में भी भाजपा का ही बहुमत है। पिछले तीन दिनों में तेजी से हुए घटनाक्रम में विशेष सम्मेलन बुलवाने की मांग करने वाले कई भाजपाई पार्षदों का मन बदला और उन्होंने नपाध्यक्ष के साथ सहमति जताते हुए एकत्रित हो कर विशेष सम्मेलन की अपनी ही मांग का विरोध कर डाला। लब्बोलुआब यह है की नगर पालिका पर काबिज सत्तारुड दल यानी भाजपा की परिषद द्वारा ही विशेष सम्मेलन बुलाया गया, भाजपा द्वारा ही सम्मेलन का विरोध किया गया और भाजपा द्वारा ही सम्मेलन को निरस्त कर दिया गया। एक और दिलचस्प बात यह है की नगरीय प्रशासन के संयुक्त संचालक के पत्र का हवाला देते हुए सम्मेलन निरस्ती के निर्देश भी उसी सीमएओ ने दिए जिस सीएमओ ने सम्मेलन बुलाया था।
दो लाइनों में इस पूरे घटणाक्रम का सार कहें, तो भाजपा बेकफूट पर गई, भाजपाई पार्षद बेकफूट पर गए, नगर पालिका CMO भी बेकफूट पर गए, अब आप कहेंगे की कॉंग्रेस के कुछ पार्षद भी तो हाँ वे भी…
विशेष तौर पर विशेष सम्मेलन बुलाने के पूरे मामले में हर पक्ष बेक फुट पर है लेकिन फ्रंटफुट पर खेल गईं नगरपालिका अध्यक्ष स्वाती चोपड़ा । वो स्वाती चोपड़ा जो बीते ढाई वर्षों से बेकफूट पर थीं, आगे भी हो सकता है बेकफुट पर जाएँ, लेकिन इस इनसीडेंट में वो फ्रंटफूट पर रही हैं ।
सम्मेलन निरस्ती से सारे शहर को संदेश गया की सम्मेलन बुलाना शहर हित में नहीं था। सम्मेलन का एजेंडा एक समिती विशेष को कॉलोनी के नाम पर प्लॉट अलॉटमेंट की अनुमति देने का था, यह भी जग जाहीर हो गया। सम्मेलन से कुछ तो गलत होने वाला था तभी तो भाजपा जिलाध्यक्ष पवन पाटीदार को भी (भले वो ना स्वीकारें ) सम्मेलन समर्थक उपाध्यक्ष सहित दो दर्जन से ज्यादा पार्षदों को मनाना पड़ा । इसके बजाये सम्मेलन के विरोध में खड़ी एक मात्र अध्यक्ष और 2-3 पार्षदों को मना लेते की सम्मेलन होने दीजिए वो ज्यादा आसान था।
खैर, जो हुआ वो ठीक हुआ यह मान लेते हैं। लेकिन सम्मेलन निरस्ती के संयुक्त संचालक के निर्देश CMO द्वारा 8 घंटे तक छुपाये रखे गए इसके पीछे क्या वजह हो सकती है ? नेता प्रतिपक्ष योगेश प्रजापति ने आरोप लगाए हैं की निरस्ती के आदेश मिलने के बाद भी नपाध्यक्ष स्वाती चोपड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और भाजपा जिलाध्यक्ष पवन पाटीदार ने पार्षदों के साथ बैठक करने की नौटंकी की।
पार्षद योगेश प्रजापति ने बताया की उन्हे सम्मेलन निरस्ती की सूचना रात्री 10 बजे मिली। उन्होंने आरोप लगाया की नपाध्यक्ष को पता था की दोपहर 2 बजे निरस्ती के आदेश आ गए थे हालांकी नपाध्यक्ष को प्रेस कान्फ्रन्स के पूर्व निरस्ती आदेश की जानकारी थी इसका कोई प्रूफ नेता प्रतिपक्ष योगेश प्रजापति के पास नही है।
इधर नपाध्यक्ष स्वाती चोपड़ा ने जवाब देते हुए कहा की उन्हे निरस्ती की सूचना रात्री 10 बजे प्राप्त हुई। नपाध्यक्ष स्वाती चोपड़ा यदि प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं भी करती तो भी उनके द्वारा बीते 2 माह से विभिन प्लेटफॉर्म्स पर किए गए पत्राचार व मिडीया को दिए बयानो से स्पष्ट ही था की वे सम्मेलन के विरुद्ध हैं। 25 नवंबर को भी उनके द्वारा मुख्य नगर पालिका अधिकारी को निर्देशित कर दिया गया था की सम्मेलन किया जाना संभव नहीं है, उचित नहीं है। संयुक्त संचालक ने भी अपने निरस्ती निर्देश में नपाध्यक्ष स्वाती चोपड़ा के इस रुख का जिक्र किया है।
इससे साफ है की सम्मेलन निरस्त करने का श्रेय तो स्वाती चोपड़ा को वैसे ही मिलना था। इसलिए निरस्ती की सूचना आने के बाद सम्मेलन निरस्ती का श्रेय लेने के लिए प्रेस वार्ता करने का आरोप निराधार ही प्रतीत होता है। क्योंकी प्रेस वार्ता के कई दिनों पूर्व से यह जग जाहीर था की नपाध्यक्ष स्वाती चोपड़ा इस सम्मेलन के विरुद्ध हैं।
अब पड़ताल करें तो शक की सुई CMO महेंद्र वशिष्ठ पर जाती है। क्योंकी मीडिया को दिए बयानों में उन्होंने बताया की उन्हे 2 बजे निरस्ती की सूचना मिल गई थी और उनके द्वारा पार्षदों को अवगत कराने हेतु निर्देशित कर दिया गया था। सवाल यह उठता है की २ बजे सूचना प्राप्त होने के बाद CMO ने नपाध्यक्ष स्वाती चोपड़ा, प्रतिपक्ष नेता योगेश प्रजापति और मीडिया को यह सूचना देने के लिए रात्री १० बजे तक का इंतजार क्यों किया ? जबकी CMO वशिष्ठ जानते थे की जिस सम्मेलन की निरस्ती की सूचना उनके पास 2 बजे ही आ गई है उसको निरस्त करने की मांग को लेकर टाउन हॉल में नगर पालिका अध्यक्ष पत्रकार वार्ता कर रही हैं। और तो और पत्रकार वार्ता खत्म होने के बाद शाम 6.30 बजे मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर CMO महेंद्र वशिष्ठ स्वयं टाउन हॉल पहुंचे थे जहां पत्रकार वार्ता के चलते एस डी एम, एडीएम और सीएमओ को टाउन हॉल निरीक्षण हेतु इंतजार करना पड़ा। तब भी सीएमओ वशिष्ठ ने मौजूद पत्रकारों को यह जानकारी नहीं दी की सम्मेलन निरस्त होने के आदेश आ चुके हैं। सीएमओ ने यह बात आखिर पत्रकारों से, नपाध्यक्ष से और नेता प्रतिपक्ष से रात्री 10 बजे तक क्यूँ छुपाई ? रात्री 10 बजे भी अंततः सूचना सीएमओ महेंद्र वशिष्ठ द्वारा ही मीडिया को दी गई तो आखिर दोपहर 2 बजे सूचना मिलने के बाद ऑफिस अवर्स में CMO द्वारा यह सूचना मीडिया से भी क्यों छुपाई गई ?
यहाँ कॉंग्रेस पार्षद प्रतिनिधी मोनू लॉक्स का यह कथन सही प्रतीत होता है की नपाध्यक्ष का अपनी ही सरकार में सीएमओ पर नियंत्रण नहीं है। और वास्तव में यह तथ्य नपाध्यक्ष स्वाती चोपड़ा की नेतृत्व क्षमता को भी चुनोती देता है। मोनू लॉक्स द्वारा मीडिया को दिए गए बयान के अनुसार इस बात की पूरी संभावना है की चूंकि सीएमओ और अधिकारियों पर अध्यक्ष का नियंत्रण नहीं है। शायद इसीलिए किसी कारण विशेष की वजह से नपाध्यक्ष से सम्मेलन निरस्ती आदेश की खबर सीएमओ द्वारा छुपा ली गई हो ।
मगर यदि CMO पर नपाध्यक्ष स्वाती चोपड़ा का नियंत्रण नहीं है तो आखिर CMO महेंद्र वशिष्ठ किसके नियंत्रण में हैं की रात 10 बजे तक वो निरस्ती आदेश ढाँपे रहे। क्योंकी जानकारी मिली है की देर रात तक यह प्रयास किया जाता रहा की किसी भी तरह सम्मेलन आहूत हो जाए। तो क्या सीएमओ महेंद्र वशिष्ठ उन लोगों से मिले हुए हैं जो सम्मेलन के पक्ष में थे ? क्या सीएमओ भाजपा जिलाध्यक्ष और नपाध्यक्ष से भी बड़ी शक्तियों से मिले हुए हैं ?
20 दिसंबर, शुक्रवार को सम्मेलन आहूत होना था। नपाध्यक्ष स्वाती चोपड़ा द्वारा नीमच जिला कलेकटर के समक्ष भी सम्मेलन के विरुद्ध आपत्ति दर्ज कराई गई थी। सम्मेलन में एक ही दिन शेष था इसलिए कलेक्टर को भी इस मामले में निर्णय करना था । स्वाभाविक है की एक तरफ तो कलेक्टर कार्यालय सम्मेलन की वैधता और नपाध्यक्ष की आपत्ति के निराकरण में सारा दिन माथापच्ची कर रहा होगा। दूसरी तरफ मुख्य नगर पालिका अधिकारी सम्मेलन निरस्ती का आदेश ढाँपे रहें ?
और तो और नीमच का पत्रकार जगत दिन भर सम्मेलन के होने ना होने की आशंका को लेकर व्यस्त रहा। 40 से ज्यादा पत्रकार टाउन हॉल में नपाध्यक्ष स्वाती चोपड़ा की उस सम्मेलन की निरस्ती की मांग को ले कर प्रेस-कोफरेंस में समय बिगाड़ते दिखे जो ऑलरेडी निरस्त हो चुका था। आखिर मीडिया के साथ ऐसा लापरवाही भला बर्ताव करते हुए क्यों सीएमओ सम्मेलन निरस्ती का पत्र मीडिया से भी ढाँपे रहे ?
और तो और सत्तारूढ़ दल के जिलाध्यक्ष पवन पाटीदार जिस मामले में रात तक माथा पच्ची करते रहे उसके बावजूद मुख्य नगरपालिका अधिकारी ने सम्मेलन निरस्ती का खुलासा नहीं किया। पूरे दिन भाजपा संगठन की किरकिरी होती रही। प्रेस कॉंफरेस में सम्मेलन के पक्ष में हस्ताक्षर करने वाले भाजपाई पार्षदों की भी छीछालेदार होती रही। CMO द्वारा समय पर सूचना दे दी जाती तो भाजपा, भाजपा नेताओं, जनप्रतिनिधीयों की किरकिरी से बचा जा सकता था। यूं भाजपा के कई धड़ों में अलग-अलग दिव्य दर्शन नहीं होते और नारा भी सार्थक होता की “एक हैं तो सेफ हैं”…
-कपिल सिंह चौहान
नीमच मप्र
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