भोपाल के किसी भी स्कूल या कॉलेज संचालक ने पेरेंट्स पर यूनिफॉर्म-बुक के लिए दबाव डाला तो FIR दर्ज होगी। मंगलवार को कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने अगले शिक्षा सत्र के लिए स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने संचालकों की मनमानी पर धारा-144 के तहत बंदिश लगाई है। कलेक्टर ने प्राइवेट स्कूल-कॉलेज संचालकों, पुस्तक प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेताओं के एकाधिकार खत्म करने के लिए आदेश जारी किए हैं। जिसके तहत अब शहर के प्राइवेट स्कूल-कॉलेज के संचालक स्टूडेंट्स या पेरेंट्स को निर्धारित दुकानों से ही यूनिफॉर्म, जूते, टाई, किताबें, काॅपियां खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे। न ही किताबों के पूरे सेट खरीदने के लिए बाध्य किया जा सकेगा।
अभी एग्जाम जारी, अप्रैल से खुलेंगे स्कूल
शहर के स्कूलों में अभी परीक्षा चल रही हैं। अप्रैल में स्कूल फिर से खुलेंगे। इसी दौरान पेरेंट्स पर यूनिफाॅर्म, बुक्स समेत अन्य शिक्षण सामग्री खरीदने के लिए दबाव बनाया जाता है। पिछले साल तत्कालीन कलेक्टर आशीष सिंह ने अप्रैल में आदेश जारी किए थे। इस बार नए शिक्षा सत्र से पहले ही मौजूदा कलेक्टर सिंह ने आदेश जारी किए हैं।
स्कूल संचालकों को यह आदेश
सभी प्राइवेट स्कूलों में अगले शिक्षण सत्र प्रारंभ होने से पहले किताब के लेखक और प्रकाशक के नाम, मूल्य के साथ कक्षावार पुस्तकों की सूची और स्कूल यूनिफॉर्म विक्रेताओं की लिस्ट स्कूल के पटल पर चस्पा करें। किसी भी प्रकार की शिक्षण सामग्री पर स्कूल का नाम अंकित नहीं होना चाहिए। स्कूल के नोटिस बोर्ड पर यह अनिवार्य से लिखें कि कहां से शिक्षण सामग्री मिलेगी। किसी को भी एक ही दुकान से शिक्षण सामग्री खरीदने के लिए बाध्य नहीं करें। किताबों के अलावा यूनिफॉर्म, टाई, जूते, कॉपियां आदि भी उन्हीं की शालाओं से उपलब्ध या विक्रय कराने का प्रयास नहीं किया जाएगा। स्कूल की स्टेशनरी या यूनिफॉर्म पर स्कूल का नाम प्रिंट कराकर दुकानों से नहीं बेचा जाएगा।
एक विशेष दुकान से सामग्री बेचना प्रतिबंधित किया गया है।
सभी एसडीएम और शिक्षा विभाग आदेश का पालन कराएगा।
जारी आदेश के उल्लंघन करते पाए जाने पर केस दर्ज किया जाएगा। जारी आदेश के उल्लंघन करते पाए जाने पर केस दर्ज किया जाएगा।
यह होगी कार्रवाई
आदेश का उल्लंघन करने पर स्कूल संचालक, प्राचार्य के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की धारा 188 के तहत केस दर्ज किया जाएगा। आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
आदेश की इसलिए पड़ी जरूरत
यूनिफॉर्म हो या बुक्स, या फिर किसी भी प्रकार की स्टेशनरी। अभिभावकों को उनकी मनमानी कीमत चुकानी पड़ रही है। पहली से आठवीं तक की किताबों के सेट 2500 से 6000 रुपए तक मिल रहे हैं। यदि पेरेंट्स दूसरी दुकानों पर जाते हैं तो वहां नहीं मिल पाती। ऐसा ही यूनिफॉर्म को लेकर भी है। स्कूल का लोगो लगी यूनिफार्म निर्धारित दुकानों से ही मिल रही है। बेल्ट, टाई भी पेरेंट्स मनमाने दाम पर खरीदने को मजबूर है। पिछले साल जिला प्रशासन की टीम ने यूनिफॉर्म और बुक्स की दुकानों पर औचक निरीक्षण कर कार्रवाई भी की थी।