नीमच। शहर में गुरुवार को शहर में शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जा रहा है। आमतौर पर अश्विन माह की 10वीं तिथि को देश दुनिया में दशहरे यानी विजयादशमी का पर्व बड़े ही उत्साह उमंग के साथ मनाया जाता है। इस दिन सब जगह रावण के पुतले का दहन किया जाता है। लेकिन नीमच शहर में एक ऐसा स्‍थान है, जहां रावण दहन दशहरे पर नहीं होता, यहां दशहरे के 5 दिन बाद शरद पूर्णिमा पर रावण दहन की परंपरा है। इसके पीछे किंवदंती है कि दशहरे के दिन रावण की मृत्यु हुई थी जबकि उसका अंतिम संस्कार 5 दिन बाद शरद पूर्णिमा को किया गया था। ऐसी भी मान्‍यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन आसमान से अमृत वर्षा हुई थी, इससे युद्ध में मारे गए भगवान राम की सेना के सैनिक जिंदा हो गए थे। शहर के सिटी इलाके में स्थित इस गांव में शरद पूर्णिमा को रावण जलाने की बरसों पुरानी परंपरा है, जो आज भी बदस्तूर जारी है। शरद पूर्णिमा पर इस परम्परा के चलते इस जगह को रावण रूंडी के नाम से जाना जाने लगा है। शरद पूर्णिमा पर रावण दहन की यह परंपरा देश के किसी भी हिस्‍से में नहीं है। सिर्फ नीमच सिटी ऐसा क्षेत्र है, जहां शरद पूर्णिमा पर रावण के पुतले का दहन होता है।