शिवशंकर ने बताया कि 2020 में 4 हजार वर्गफुट में एयरकुल्ड बेसमेंड प्लांट की स्थापना की. जिसमें 35 सौ बैग लगाकर बटन प्रजाति के मशरूम की खेती कर रहे हैं. पिछले वर्ष बीस लाख रुपये की लागत से मशरूम की खेती की शुरुआत की थी और आज 400 किलो मशरूम की प्रतिदिन पैदावार हो रही है.

वैशाली : मशरूम की अब पूरे दश में डिमांड है. लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं. अब इसकी लोग बड़े पैमाने पर खेती भी कर रहे हैं. ऐसे ही दोस्त से प्रेरित होकर गोरौल के कटरमाला गांव के रहने वाले शिवशंकर सिंह ने मशरूम की खेती करने की ठानी. उन्होंने हाजीपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में जाकर एक महीने की ट्रेनिंग की. ट्रेनिंग पूरे होने के बाद शिव शंकर सिंह को मशरूम की बीज लेकर अपने एक मुर्गी फार्म में ठंड के महीने में इसकी शुरुआत कर दी. क्योंकि उनके पास वैसा कोई बड़ा प्लांट या जगह नहीं था.

न ही उतने पैसे थे कि वह बड़ा प्लांट खोल पाएं तो उन्होंने सोचा क्यों न ठंड के महीने में मशरूम की खेती की जाए. उसके बाद दिन पर दिन मशरूम की खेती को आगे बढ़ाते गए. 2014 से 2020 तक मुर्गी फार्म में मशरूम उत्पादन का काम किया.

2020 में 4 हजार वर्गफुट में एयरकुल्ड बेसमेंड प्लांट की स्थापना की. जिसमें 35 सौ बैग लगाकर बटन प्रजाति के मशरूम की खेती कर रहे हैं. पिछले वर्ष बीस लाख रुपये की लागत से मशरूम की खेती की शुरुआत की थी और आज 400 किलो मशरूम की प्रतिदिन पैदावार हो रही है. इनका मशरूम सिल्लीगुड़ी टाटा बोकारो कलकत्ता गोरखपुर धनबाद भागलपुर पटना मुजफ्फरपुर के अलावे दूसरे राज्यो में भी जाता है.

इस प्लांट में 25 लोगों को रोजगार भी दिया गया है जो इस प्लांट में काम करते हैं. मशरूम की मांग इतनी है कि बेचने के लिये भी सोचना नही पड़ता है. शिव शंकर सिंह ने बताया कि हमारे गांव के ही एक दोस्त ने मशरूम के बारे में बताया था. हाजीपुर कृषि केंद्र से ट्रेनिंग लेकर मुर्गी फार्म में ठंड के मौसम में मशरूम की खेती शुरू की थी. लेकिन 2020 में 4 हजार वर्गफुट में प्लांट बैठाया और इस प्लांट में 3500 बैग से मशरूम की पैदावार शुरू की. प्रतिदिन 4 क्विंटल मशरूम का उत्पादन होता है. बिहार के कई जिले में सहित दूसरे राज्य में मशुरूम की सप्लाई होती है. मशरूम उत्पादन से रामकिशोर महीने की 5 लाख आमदनी कर रहे हैं.