गरोठ–घासीराम मीणा हत्याकांड में थाना प्रभारी धर्मेंद्र शिवहरे पर उठ रहे सवालों और मीणा समाज की नाराजगी ने आखिरकार प्रशासन को झुकने पर मजबूर कर दिया। इस हत्याकांड को लेकर लंबे समय से स्थानीय थाना प्रभारी पर आरोप लगाए जा रहे थे, कि वह मामले में मास्टरमाइंड और मुख्य आरोपियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। मीणा समाज द्वारा थाना प्रभारी पर कार्रवाई की मांग की जा रही थी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे थे।हाल ही में समाजजनों और घासीराम के परिवारवालों ने थाना प्रभारी को हटाने की मांग को लेकर एक बड़ा धरना शुरू किया। 24 घंटे से अधिक समय तक चला यह धरना प्रशासन के लिए चुनौती बन गया। समाज के लोग इस बात पर अड़े थे, कि थाना प्रभारी को तुरंत हटाया जाए, और इस हत्याकांड में शामिल राकेश सिंह और सुरेश बंगाली को मुख्य आरोपी और मास्टरमाइंड मानकर गिरफ्तार किया जाए।प्र शासन ने धरने को खत्म करने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन परिवार और समाजजन अपनी मांगों पर डटे रहे। इस दौरान विवादित टीआई के खिलाफ कार्रवाई को लेकर समाज का गुस्सा उबल पड़ा। आखिरकार, मीणा समाज के भारी दबाव और कई स्तर की बातचीत के बाद प्रशासन ने एडिशनल एसपी हेमलता कुरील एसडीओपी राजाराम धाकड़ को धरनास्थल पर भेजा, जहां लंबी बातचीत के बाद सहमति बनी।

प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से विवादित थाना प्रभारी धर्मेंद्र शिवहरे को लाइन अटैच करने का आदेश दिया, साथ ही हत्याकांड की फिर से जांच की घोषणा की। प्रशासन के इस कदम के बाद मीणा समाज ने धरना समाप्त किया, लेकिन समाज के लोगों ने स्पष्ट कर दिया कि वे अब भी मामले पर पैनी नज़र रखेंगे और न्याय की पूरी उम्मीद प्रशासन से करेंगे।