नीमच। वरिष्ठ इंका नेता और नीमच के पूर्व विधायक नंदकिशोर पटेल ने 24 मार्च को नीमच आ रहे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से नीमच की दशकों से चली आ रही बंगला-बगीचा समस्या समाधान के नाम पर बनाये गए पूरी तरह से असंगत व्यवस्थापन नियमों में अविलम्ब सर्वमान्य संशोधन और हाल के दिनों में प्राकृतिक आपदा के शिकार जिले के किसानों को शीघ्र सहायता और पूर्व पीड़ित किसानों के लिए घोषित बकाया मुआवजा तथा बीमा राशि का प्राथमिकता से भुगतान करने की मांग की है।
यहाँ जारी एक बयान में पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान 24 मार्च 2023 को नीमच के जिस दशहरा मैदान में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने आ रहे हैं उसी मैदान पर उन्होंने अप्रैल 2009 में आयोजित सभा मे घोषणा की थी कि, मैं शीघ्र ही सारी प्रशासनिक मशीनरी को नीमच लेकर आऊँगा और यहीँ जनता के बीच नाम मात्र के प्रीमियम, लीज और विकास शुल्क तय कर बंगला-बगीचा समस्या का सर्वमान्य हल कर दूंगा।
इसके बाद 20 अगस्त 2013 तक मुख्यमंत्री अनेकों बार नीमच आये और हर बार उक्त आशय का ही आश्वसन दिया लेकिन समस्या के समाधान के नाम पर 26 मई 2017 के राजपत्र में प्रकाशित कर जो व्यवस्थापन नियम लागू किये है उनमें अनेकानेक व्यवहारिक, तकनीकी और कानूनी लिहाज से विसंगतियां है। प्रीमियम, सालाना लीज और अन्य शुल्क भी मनमाने ढंग से थोपे गए है। इससे समस्या और उलझ गई है और जनता को अपेक्षित राहत नहीं मिल पाई है।
पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान ने 29 मार्च 2018 को नीमच में आयोजित अंत्योदय मेले में भी घोषणा की थी कि व्यवस्थापन नियमों की विसंगतियों को तुरंत दूर किया जायेगा। किन्तु पाँच साल गुजर जाने के बाद अभी तक भी समस्या जस की तस बनी हुई है। इस स्थिति से समस्या को लटका कर समाधान के नाम पर प्रभावितों से वोट और नोट बटोरने की दुर्भावना बिल्कुल साफ झलकती है ।
पटेल ने कहा कि बंगला-बगीचा क्षेत्र के हजारों रहवासी इस दूषित नीतिगत षडयंत्र के चलते लगातार दमन और शोषण का शिकार हो रहे है। पीड़ित रहवासियों की वाजिब माँग की निरन्तर उपेक्षा न्याय संगत नहीं है। मुख्यमंत्री से अब नीमच के प्रभावित हजारों बंगला-बगीचा रहवासियों की ओर से काँग्रेस की माँग है कि, 24 मार्च को नीमच में व्यवस्थापन नियमों की विसंगतियों को अविलम्ब दूर कर सर्वमान्य सम्बद्ध हल करने की निश्चित घोषणा की जाए।
प्राकृतिक आपदा के शिकार किसानों को अविलम्ब सहायता दी जाए-
पिछले एक पखवाड़े से समूचे क्षेत्र में होने वाली असामयिक बारिश, ओलावृष्टि और पाला गिरने का उल्लेख करते हुए पटेल ने कहा कि प्राकृतिक आपदा से जिले के किसानों की विभिन्न फसलों को व्यापक क्षति हुई है। किसान असहाय और बहुत दुःखी है। इस बारे में सत्ता पक्ष की ओर से अविलम्ब सर्वे करवाने और क्षति के हिसाब से मुआवजा देने की घोषणाएँ और दावे तो किये जा रहे है लेकिन हकीकत की जमीन पर सम्बद्ध विभागीय अमला तटस्थता, तत्परता और संवेदनशीलता से सर्वे नही कर रहे हैं।
पटेल ने मुख्यमंत्री से माँग की है कि, किसानों से हमदर्दी की थोथी घोषणाओं से ऊपर उठ कर प्रभावित पीड़ित किसानों की सही अर्थों में पर्याप्त सहायता के लिए राजस्व विभाग के जिम्मेदार अमले को प्राथमिकता से पारदर्शिता के साथ निर्धारित समयावधि में सही-सही सर्वे करने के निर्देश दे और किसानों के आँसू सूखने के पहले नुकसानी के अनुपात में पर्याप्त मुआवजा प्रदान किया जाए। साथ ही बीमित फसलों का क्षति के हिसाब से किसानों को शीघ्रातिशीघ्र बीमा राशि दिलाने की भी परिणामदायी पहल की जाए।
काँग्रेस सरकार द्वारा पूर्व घोषित बकाया मुआवजा राशि का हो अविलम्ब भुगतान-
पटेल ने कहा कि, वर्ष 2018 में प्रदेश मे कमलनाथ के नेतृत्व में 15 महीनों तक काँग्रेस की सरकार रही थी। इस दौरान प्राकृतिक आपदा की मार से प्रदेश के अन्य भागों के साथ बड़ी संख्या में नीमच जिले के किसानों की फसलें भी क्षति ग्रस्त हुई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा अविलम्ब प्रभावित किसानों के लिए पर्याप्त मुआवजा देने की घोषणा करते हुए तुरन्त सर्वे शुरू किया गया लेकिन राशि वितरण कार्य षडयंत्र पूर्वक काँग्रेस की सरकार गिराई जाने से पूर्ण नहीं हो पाया था।
जिले के हजारों किसानों को उस अवधि के दौरान फसलों में हुई क्षति के बदले घोषित करोड़ो रु की मुआवजा राशि अभी तक नहीं मिल पाई है। पटेल ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से माँग की है कि नीमच जिले के ऐसे सभी किसानों को तत्कालीन कमलनाथ सरकार द्वारा स्वीकृत और लम्बे समय से लंबित मुआवजा राशि का अब प्राथमिकता से अविलम्ब भुगतान किया जाना चाहिए।